MahaKumbh 2025: पीतल की मूर्तियों की भारी मांग, श्रद्धालुओं में दिखा उत्साह

Rahul KaushikNationalJanuary 8, 2025

Pital ki murtiyon,MahaKumbh 2025
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प्रयागराज में 2025 में आयोजित होने वाले MahaKumbh 2025 को लेकर तैयारियां ज़ोरों पर हैं। इस महापर्व को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है और इसकी झलक अभी से देखने को मिल रही है। इस बार महाकुंभ में पीतल की मूर्तियों की भारी मांग देखी जा रही है, खासकर गंगा मैया और रामलला की मूर्तियों की। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय कारीगरों के लिए एक बड़ा अवसर भी है।

महाकुंभ का महत्व

महाकुंभ एक ऐसा धार्मिक मेला है जो हर 12 साल में भारत के चार पवित्र स्थानों – प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में से किसी एक स्थान पर आयोजित किया जाता है। यह विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण मानव समागम है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। मान्यता है कि इस दौरान गंगा नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पीतल की मूर्तियों की बढ़ती मांग

महाकुंभ के दौरान पूजा-अर्चना के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है, जिनमें पीतल की मूर्तियां प्रमुख हैं। इस बार गंगा मैया की पीतल की मूर्तियों की विशेष मांग है, क्योंकि गंगा नदी को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी माना जाता है। इसके अलावा, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद रामलला की मूर्तियों की मांग में भी भारी वृद्धि हुई है।

स्थानीय कारीगरों के लिए अवसर

पीतल की मूर्तियों की बढ़ती मांग स्थानीय कारीगरों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आई है। मुरादाबाद, वाराणसी और अलीगढ़ जैसे शहरों के कारीगर दिन-रात इन मूर्तियों को बनाने में जुटे हुए हैं। यह न केवल उनकी आजीविका का साधन है, बल्कि उनकी कला और कौशल को प्रदर्शित करने का भी एक मंच है।

मूर्तियों की विशेषता

इन मूर्तियों को बनाने में कारीगर अपनी पूरी मेहनत और लगन लगाते हैं। वे पीतल को पिघलाकर उसे विभिन्न आकारों में ढालते हैं और फिर उन पर बारीक नक्काशी करते हैं। इन मूर्तियों में देवी-देवताओं के भाव और मुद्राओं को जीवंत रूप में दर्शाया जाता है।

MahaKumbh 2025 की तैयारियां

MahaKumbh 2025 को लेकर प्रयागराज में तैयारियां जोरों पर हैं। मेला क्षेत्र को साफ़-सुथरा किया जा रहा है और श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न सुविधाओं का इंतजाम किया जा रहा है। सरकार भी इस महापर्व को सफल बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

श्रद्धालुओं में उत्साह

महाकुंभ को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है। वे इस पवित्र अवसर पर गंगा स्नान करने और देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने के लिए उत्सुक हैं। उन्हें विश्वास है कि इस महापर्व में भाग लेने से उनके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी।

MahaKumbh 2025 का समय

MahaKumbh 2025 का आयोजन 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरू होगा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ संपन्न होगा।

निष्कर्ष

MahaKumbh 2025 एक ऐसा महापर्व है जो धार्मिक आस्था, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। इस बार पीतल की मूर्तियों की भारी मांग ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया है। यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र अवसर है, बल्कि स्थानीय कारीगरों के लिए भी एक बड़ा अवसर है।

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